Friday, March 11, 2011

opposites are the complementry

'विपरीत ही एक दुसरे के पूरक हैं' त्रिवेणी शिक्षा संस्थान के सचिव  ओमप्रकाश ने इन्ही शब्दों को अपने पूरे जीवन के अध्ययन  का निष्कर्ष बताया ! ओमप्रकाश  चौधरी देवीलाल विश्वविद्यालय के जनसंचार एवं पत्रकारिता विभाग के विद्यार्थियों के मार्गदर्शन के लिए आयोजित कार्यशाला में पहुंचे! १५ दिवसीय कार्यशाला में जिज्ञासु विद्यार्थियों ने ओमप्रकाश  से 'व्यक्तित्व विकास एवं शिक्षा' के विषय पर प्रश्न किये! पहले चरण में उन्होंने अपने विद्यार्थियों को विस्तारपूर्वक समझाया कि उनके द्वारा निकाला  गया निष्कर्ष उन्होंने अपने जीवन में भी अनुभव किया है! यह बात उन्होंने अनेक उदाहरण देते हुए समझाई! उनके अनुसार यदि जीवन में दुःख है तो आने वाले समय में सुख भी है! सुख व् दुःख एक दुसरे के पूरक हैं! उन्होंने साईकिल चलाने  का अपना अनुभव साझा किया कि शुरुआत में उन्हें काफी परेशानी व् चोट का सामना करना पड़ा परन्तु अंत में उन्होंने सफलता प्राप्त की! इसी प्रकार उन्होंने सफलता-असफलता, सकारात्मक-नकारात्मक   शब्दों के उदाहरण से अपनी बात का महत्व बताया!ओमप्रकाश ने कहा कि हर बात के दो पहलू होते हैं और वे एक दुसरे के पूरक भी होते हैं! जो बात सच है उस का विपरीत भी सच ही होगा! सकारात्मक और नकारात्मक   हमेशा इकट्ठे चलते हैं! विद्यार्थी जीवन का मूलमंत्र जूनून और सब्र ही है, इसी बात पर उन्होंने  कहा कि अपने काम पर  शत प्रतिशत  दें तभी सफलता  मिलेगी! दुसरे चरण में विद्यार्थियों ने उनसे  कई प्रश्न किए!  मन व मस्तिष्क में से किस की  बात सुनी जाये इस प्रश्न पर ओमप्रकाश ने कहा कि चीजों को वैसे ही लें जैसी कि वो हैं! हमारी निगाह हमेशा कमियों पर रहती है इनकी बजाये हमें अच्छाई को देखना चाहिए ! जीवन में असमंजस की स्थिति आने पर केवल लक्ष्य की  ओर केन्द्रित रहें! विद्यार्थी के एक सवाल पर उन्होंने आत्म विश्वास को बढ़ाने का एक सरल तरीका  ध्यान योग को बताया, जिसका अभ्यास कार्यशाला के दौरान ही करवाया गया! अंत में विभागाध्यक्ष वीरेंद्र सिंह चौहान ने ओमप्रकाश का धन्यवाद देते हुए कहा कि उनका मार्ग दर्शन विद्यार्थियों के जीवन में लाभप्रद साबित होगा!

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