दीपावली! दिवाली! मस्ती का त्यौहार! बचपन से ही जब यह त्यौहार आता रहा है दिल में, दिमाग में एक उत्साह सा जाग जाता है! दीपों का यह त्यौहार हर साल खुशियाँ ले कर आता है, क्योंकि इस त्यौहार को छोटे बड़े अमीर गरीब सब उत्साह के साथ मिलजुल कर मानते हैं! अब इस त्यौहार को भारतीय कैसे मानते हैं? ये बताने की ज़रूरत मुझे महसूस नहीं हो रही है! हम भारतीय भली भांति जानते हैं के यह त्यौहार पूजन पाठ के लिए विशेषकर लक्ष्मी पूजन के लिए है, या कहें दीपों का त्यौहार है , या रौशनी का त्यौहार, या यह भी कह सकते हैं के खुशियों का त्यौहार!!!! परन्तु बदलते समय की हम बात करें तो इस त्यौहार के मायने दिन-ब-दिन बदलते जा रहे हैं! अब यह त्यौहार व्यापार का त्यौहार बनता जा रहा है! लोग त्यौहार का इंतज़ार सिर्फ सेल का फायदा उठाने के लिए, पटाखों का शोर शराबा करने के लिए, दिखावा करने के लिए, जुआ खेलने के लिए करते हैं! वो स्नेह, उत्साह, श्रधा कहीं गम हो गये हैं! दीपों का स्थान इलेक्ट्रिक लाइटों ने ले लिया है!
आने वाली पीढ़ी को तो इस त्यौहार का असली रूप देखने को मिलेगा ही नहीं!! हम हमारी संस्कृति को भूलते जा रहे हैं! ऐसा क्यों हो रहा है?? क्या दीपों की माला केवल टीवी कार्यकर्मों का अंश बन कर रह जाएगी?? हम सिर्फ दिखावे और मस्ती नाच गाने के लिए यह त्यौहार मानते रहेंगे??
वो दीपावली कहाँ गयी?? उसे फिर से खोजना आवश्यक है!!!
Wednesday, October 20, 2010
Wednesday, October 13, 2010
class of knowledge
आज बात करने जा रही हूँ एक खास क्लास की, एक ऐसी क्लास जिस से हमें बहुत उम्मीद थी! बाकियों का मैं कुछ कह नहीं सकती पर हाँ मुझे उम्मीद थी! क्योंकि कई बार हमने हमारे बड़ों से सुना था की पद्मिनी मैडम बहुत अच्छा पढ़ती हैं, बोलती हैं, समझती हैं,,,,,,,,,, और ऐसा सच में है पर जहाँ तक उस पर्टिकुलर क्लास की मैं बात करूँ तो काफी समय हमने बातों में व्यर्थ गँवा दिया! पद्मिनी मैडम बहुत अच्छा बोलती हैं, उनके बोलने के तरीके ने मुझे प्रभावित किया और मैं अभी उन्हें और भी सुन सकती थी परन्तु समय की कमी, कुछ सवाल और उनके पुराने स्टुडेंट्स की बातों ने उस क्लास को प्रभावित किया!
उन्होंने हमें हमारे करियर की जानकारी दी कि हम किस क्षेत्र में अवसर तलाश सकते हैं....जो कि भविष्य में हमे काम आने वाली थी और मेरी तरह लगभग सभी स्टुडेंट्स ने उसे अच्छी तरह समझा!
उन्होंने हमें हमारे करियर की जानकारी दी कि हम किस क्षेत्र में अवसर तलाश सकते हैं....जो कि भविष्य में हमे काम आने वाली थी और मेरी तरह लगभग सभी स्टुडेंट्स ने उसे अच्छी तरह समझा!
Wednesday, October 6, 2010
our new chevy BEAT!!!!
जी आज आपको बहुत ख़ुशी की बात बताने जा रही हूँ कि हमने नयी कार खरीद ली है! अब आपका भी वही reaction होगा कि
पार्टी! पार्टी! पार्टी!
जैसा कि सभी रिश्तेदारों और दोस्तों का था! पार्टी कि तो बात है ही, न्यू कार जो आई है घर में वो भी cheverolet beat !
कार बहुत खुबसूरत है और सिरसा के cheverolet showroom की पहली कार है! कार बहुत ही खास है हालाँकि बेस मॉडल है पर फिर भी बहुत से features से सजी है ये कार!
so lets have a ride...............
पार्टी! पार्टी! पार्टी!
जैसा कि सभी रिश्तेदारों और दोस्तों का था! पार्टी कि तो बात है ही, न्यू कार जो आई है घर में वो भी cheverolet beat !
कार बहुत खुबसूरत है और सिरसा के cheverolet showroom की पहली कार है! कार बहुत ही खास है हालाँकि बेस मॉडल है पर फिर भी बहुत से features से सजी है ये कार!
so lets have a ride...............
Tuesday, October 5, 2010
fresherzzz party
जी नमस्ते! बहुत दिनों बाद आज कुछ लिखने जा रही हूँ, अच्छा लग रहा है.......
चलिए आज आपको बताने जा रही हूँ हमारी फ्रेशर पार्टी के बारे में! ये पार्टी हमने हमारे जूनियर्स के स्वागत के लिए आयोजित की थी! काफी दिनों से कोशिश थी की ये पार्टी बस हो जाये क्योंकि पार्टी में बहुत सी अडचने आ रही थी, कभी पैसों की किल्लत तो कभी दोस्तों में आपसी नोंकझोंक! पर हम सब दोस्तों ने मिलकर अपनी पूरी कोशिश से आख़िरकार ४ अक्तूबर को पार्टी आयोजित की गयी! पार्टी का समय २ बजे रखा गया था लेकिन पार्टी लगभग ढाई तीन बजे शुरू हुई! शुरुआत में थोड़ी दुविधा सी लग रही थी! पर समय के साथ -२ साथ गाड़ी पटरी पर आ ही गयी और धीरे-२ प्रोग्राम ने रेस भी पकड़ ली! जुनिएर्स ने परिचय के साथ-२ अपनी कला का प्रदर्शन भी किया! किसी ने गीत सुनाया तो किसी ने शायरी की और कुछ तो गीतों की ताल पर थिरके भी! हमारे एक अध्यापक ने अपनी कविताओं से सबको आन्दित किया! साथ ही हमारे कुछ दोस्तों ने भी मंच पर नृत्य के रंग बिखेरे! साथ-२ खाने पीने का प्रोग्राम भी चलता रहा! कार्यक्रम के अंत में विजेताओं को इनाम भी दिए गये और हमारे विभागाद्यक्ष श्री वीरेंदर सिंह चौहान ने सभी विद्यार्थियों को सन्देश दिया !
इसी मौके पर हमने हमारे सीनियर्स को भी आमंत्रित किया था उनसे पूछने पर उन्होंने कहा की आज की पार्टी बकवास थी, हमने पार्टी के समय उन्हें १ बार भी नहीं पूछा वे अकेले पीछे बैठे रहे, जिसके लिए हम उनसे माफ़ी मांगते हैं!
पार्टी के अंत में सब विद्यार्थियों ने खूब डांस किया और एन्जॉय किया!
Saturday, September 18, 2010
chit-chat 18-09-2010
दबंग कि दबंगई सब पर भरी पड़ी
- दिल्ली -यूपी में ३१५ प्रिंट के साथ हुई थी रिलीज!
- इसे वांटेड के साथ जोड़ कर देखा जा रहा था!
- पहले ही दिन १४ करोड़ का बिज़नस किया!
- अब तक का सबसे बड़ा रिकॉर्ड था!
- 'वंस अपोन ऐ टाइम इन मुंबई' के बाद अजय देवगन दोबारा एकता कपूर के साथ काम करने जा रहे हैं!
- यह फिल्म साउथ कि जानी-मानी हिरोइन स्वर्गीय सिल्क स्मिता कि कहानी पर बेस्ड है!
- अजय मशहूर फिल्म मेकर कि भूमिका में हैं!
- फिल्म के डिरेक्टर मिलन लुथरिया विद्या को सिल्क स्मिता के रोल में लेना चाहते हैं!
- प्रियंका के पास इतना काम है कि उन्हें साँस लेने तक कि फुर्सत नहीं है!
- इन दिनों वह कई नयी फिल्मों को रिजेक्ट कर चुकी हैं!
- अगले साल के लिए भी उनके पास ९ प्रोजेक्ट हैं!
- बॉलीवुड की कई टॉप हीरोइनें घर बैठ कर अच्छी फिल्मलों के ऑफर का इंतज़ार कर रही हैं, लेकिन प्रियंका का सीन अक्दुम उल्टा है!
- 'कौन बनेगा करोडपति-४' से जल्द ही टीवी पर नज़र आने वाले हैं अमिताभ बच्चन!
- ११ अक्तूबर यानि अपने बर्थडे वे बिन से ही वो इस शो का आगाज़ करेंगे!
- इस शो का सलमान खान के 'बिग बॉस-४' से भी कड़ा मुकाबला होने की उम्मीद है !
- दोनों कार्यक्रम एक ही समय पर प्रसारित होंगे!
Thursday, September 16, 2010
whats new??? 16-09-2010
नए रूप में नज़र आएगा ट्विटर
- तस्वीरें व विडियो चेक करने की सुविधा!
- मकसद इसे पहले से अधिक तेज़ और अनुभव देने वाला बनाना!
- अब साईट २ खिडकियों में बंटी नज़र आएगी!
- बीएस कुछ दिन का इंतज़ार और!
- यूनिवर्सिटी ऑफ़ युता के वैज्ञानिकों द्वारा की गयी स्टडी में कामयाबी मिली!
- गंभीर पैरालिसिस के शिकार बोल पाने में असमर्थ लोगों को इससे काफी मदद मिलेगी!
- इससे पता लग सकता है कि पैरालिसिस का शिकार व्यक्ति क्या कहना चाह रहा है?
- इसके लिए ब्रेन में २ ग्रिड इम्प्लांट कर दिए जाते हैं, जो सिग्नल को वर्ड्स में ट्रांस्लाते कर देता है!
- इस मेथड में अभी और सुधर कि ज़रूरत है!
- कर्नेल यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर रोबर्ट रिचर्डसन ने कहा कि अमेरिका दुनिया भर में इस्तेमाल होने वाली हीलियम का ८० फीसदी सस्ते मूल्य पर मुहैया करवाता है!
- साथ ही कहा के आने वाले २५ से ३० सालों में यह भंडार ख़तम हो जायेंगे!
- इसका विकल्प मिलना भी सम्भव नहीं है!
- हीलियम बनाने का कोई केमिकल प्रोसेस नहीं है!
- हीलियम मुख्यतः धरती पर चट्टानों में उपलब्ध रेडियोधर्मी अल्फ़ा अवशेषों से पाया जाता है!
- लेखक हमीश मेक्डोनाल्ड की नयी किताब का नाम है महाभारत इन पोल्येस्तर !
- पहली किताब पोलीएस्टर प्रिन्स १९९८ में आई थी, और उस समय उस पर बैन लगा दिया गया था!
- इस नयी किताब में मुकेश को ऊँची महफ़िल का शौकीन बताया गया है!
- अनिल पर टिपण्णी की गयी है कि वे उछल-कूद कर अपने आप को भगवत भक्त के रूप में देखा रहे हैं!
Thursday, September 9, 2010
effects of movies!!!!
फिल्मों का समाज पर, हमारे जीवन पर गहरा प्रभाव पड़ता है! फिल्म के विषय या किस्म के अनुसार उसका प्रभाव सम्बन्धित दर्शकों पर पड़ता है! उदाहरण के तौर पर युवाओं को ध्यान में रख कर बनायी गयी फिल्म केवल युवाओं को ही प्रभावित करेगी!
फिल्मों का प्रभाव दोनों तरह का है-
(१)सकारात्मक
(२)नकारात्मक
(१) सकारात्मक- फिल्मों का मुख्य उद्देश्य मनोरंजन व जागरूकता रहा है! सामाजिक मुद्दों पर बनी फिल्मों ने हमेशा समाज को आइना दिखाया है और साथ ही बुराई को दूर करने में मदद भी की है! आतंकवाद, अंडरवर्ड,आम आदमी का दर्द, राजनीति, नारी का शोषण, गरीबी आदि मुद्दों पर बहुत सी फिल्में बनी हैं! जो समाज की सच्चाई को सामने केकर आती हैं! दूसरी और बदलते समय को दर्शातीं हैं! शहरीकरण का मुख्य कारण भी इन्हें कहा जा सकता है! बदलती जीवन शैली को दर्शाती फिल्में ग्रामीण व छोटे लोगों को नवीन तकनीकों व रहन-सहन के तौर-तरीकों से अवगत करातीं हैं! लोगों की सोच पर भी इसका सीधा प्रभाव पड़ता है! इसका सबसे बड़ा उदाहरण है फिल्म ३इडियट्स ! पढाई के क्षेत्र मैं बढ़ रही प्रतिस्पर्धा के कारण विद्यार्थियों पर पड़ रहे प्रभाव को इस फिल्म में दिखाया गया! साथ की विद्यार्थियों व उनके माता पिता को इस फिल्म के द्वारा सन्देश दिया गया! माता पिता बच्चों पर जबरदस्ती न करें व बच्चे भी स्वेच्छा से करियर का चुनाव कें, इस उद्देश्य के साथ यह फिल्म बनायी गयी थी! साथ ही मनोरंजन से भी भरपूर थी! इसके अलावा हम पारिवारिक फिल्मों का भी उदाहरण ले सकतें हैं ,जिसमें की संयुक्त परिवार की परम्परा को फिर से शुरू करने का सन्देश दिया जाता है! फिल्मों द्वारा रिश्तों की मधुरता, बड़ों का सम्मान भी दर्शाया जाता रहा है! इसका उदाहरण हम वक़्त व बागबान जैसी फिल्मों में देख सकते हैं!
फिल्मों का एक और सकारात्मक पहलु है और वह है- बदलते दौर को दर्शाना! इसमें समाज की सच्चाई, दिखावे के पीछे का सच व साथ ही नयी तकनीकें व, और फैशन का रुख भी पता लगता है!
कई बार फिल्मों के बहुत से किरदार बच्चों के लिए, युवाओं के लिए आदर्श भी साबित होतें हैं! साथ ही यह फिल्में अमन,शांति व एकता का सन्देश भी देती हैं!
(२)नकारात्मक- फिल्मों का जितना सकारात्मक प्रभाव है उतना ही नकारात्मक भी है! इनका सबसे बुरा परभाव बच्चों व युवाओं पर पड़ता है! फिल्मों में दिखाई गयी अश्लीलता, फूहड़ता व क्राइम का सीधा असर बच्चों व उवओं के मस्तिष्क पर पड़ता है!आम जिंदगी में घाट रही बहुत सी घटनाओं का मुख्य कारण फिल्में ही होता है! बहुत से बच्चे फिल्मों के प्रभाव में आकर अपना जीवन ही नष्ट कर लेते हैं! अपराध जगत से जुड़े लोग फ़िल्मी तरीकों को अपनाकर चोरी, डकैती, व मर काट के कामों को अंजाम देते हैं! इसके अलावा फिल्में हमारे संस्कारों को तहस-नहस करती भी प्रतीत होती हैं! पश्चात्य्करण को लोगों तक पहुँचाने का काम भी फिल्में ही करती आ रही हैं! इससे समाज में संस्कारों को भुला कर नए चलन चलाना आम बात हो गयी है! मोर्दनाइजेशन को दिखाती फिल्में हमारी संस्कृति को तो प्रभावित करती ही हैं साथ ही रिश्तों की मधुरता पर भी विपरीत असर डालती हैं!
निष्कर्ष- प्रत्येक फिल्म का अपना प्रभाव होता है चाहे वह अची हो या बुरी? फिल्मों के प्रभाव की बात की जाये तो इसका समाज पर दोना तरह का प्रभाव पड़ता है! यह हम पर निर्भर करता है की हमारा नजरिया क्या है?
कुछ फिल्में इसी भी होती हैं जिनका कोई भी प्रभाव नही पड़ता जो सिर्फ और सिर्फ मनोरंजन के लिए बनती हैं!!!
Monday, September 6, 2010
rang
आज मैं बात करने जा रही हूँ रंगों में से खुबसूरत रंग दोस्ती के बारे में!!!!
ये वो रंग हैं जो आज के समय में रंग बदलने लग गया है!
जिसे सच्चा समझते हैं वो सच्चा नहीं होता और जिसे नहीं समझते उसे हम गलत समझने की भूल कर बैठते हैं!
दोस्ती का रंग समय के रंग के साथ रंग बदलता है! समय ही बता सकता है कि कौन सही है और कौन गलत??? खुशियों में सब साथ होते हैं पर दुःख में सिर्फ और सिर्फ सच्चा दोस्त! अब आप खुद समझ सकते हैं कि कौन दोस्त है और कौन दिखावटी??
हाँ! दोस्ती के सुंदर से पल आपके जीवन में यादों का एक गुलदस्ता छोड़ जाते हैं जो जीवन भर महकता है ! इसकी खुशबू आप बहुत से लोगों के साथ बांटते भी हैं और खुद भी सहेज कर रखते हैं! रंग भरी दोस्ती में मस्ती मज़े के बहुत से रंग होते हैं!!
पर एक रंग, सिर्फ एक रंग बुरा है इसका और वो है स्वार्थ का रंग! दोस्ती में स्वार्थ की भावना की कोई जगह नहीं है! इसी की वजह से दोस्ती के रंग बदरंग हो जाते हैं!!!
इसलिए दोस्ती के अटूट रिश्ते की हमे कदर करनी चाहिए और दोस्त अच्छा हो या बुरा यदि हम खुद सच्चे हैं तो ये रिश्ता मजबूत रहता है बाकि समय तो है ही हमारी मदद करने के लिए!!!!!!!
ये वो रंग हैं जो आज के समय में रंग बदलने लग गया है!
जिसे सच्चा समझते हैं वो सच्चा नहीं होता और जिसे नहीं समझते उसे हम गलत समझने की भूल कर बैठते हैं!
दोस्ती का रंग समय के रंग के साथ रंग बदलता है! समय ही बता सकता है कि कौन सही है और कौन गलत??? खुशियों में सब साथ होते हैं पर दुःख में सिर्फ और सिर्फ सच्चा दोस्त! अब आप खुद समझ सकते हैं कि कौन दोस्त है और कौन दिखावटी??
हाँ! दोस्ती के सुंदर से पल आपके जीवन में यादों का एक गुलदस्ता छोड़ जाते हैं जो जीवन भर महकता है ! इसकी खुशबू आप बहुत से लोगों के साथ बांटते भी हैं और खुद भी सहेज कर रखते हैं! रंग भरी दोस्ती में मस्ती मज़े के बहुत से रंग होते हैं!!
पर एक रंग, सिर्फ एक रंग बुरा है इसका और वो है स्वार्थ का रंग! दोस्ती में स्वार्थ की भावना की कोई जगह नहीं है! इसी की वजह से दोस्ती के रंग बदरंग हो जाते हैं!!!
इसलिए दोस्ती के अटूट रिश्ते की हमे कदर करनी चाहिए और दोस्त अच्छा हो या बुरा यदि हम खुद सच्चे हैं तो ये रिश्ता मजबूत रहता है बाकि समय तो है ही हमारी मदद करने के लिए!!!!!!!
Friday, September 3, 2010
small journey !!!! -2
जी हाँ!! बाकि का सफ़र लेकर मैं फिर हाज़िर हूँ! आज थोडा मूड ऑफ है पर फिर भी आपको मेरे छोटे से सफ़र के बारे में ज़रूर बताउंगी !!!
तो चलिए बात चल रही थी वोट्स न्यू की और वोट्स न्यू में मैंने बहुत कुछ सीखा !!! और साथ-२ एक नया प्रोग्राम और शुरू किया वो था कैम्पस बीट!!! इस प्रोग्राम में हर हफ्ते एक अलग कैम्पस की जानकारी व् उस से जुडी हर बात इस छोटे से कार्यक्रम में बताती थी !!! मेरी हमेशा से कोशिश रही के मेरे हर प्रोग्रम में पूरी जानकारी हो ताकि हर श्रोता कुछ सीखे!!!
और फाईनली मैं जुडी हेल्लो सिरसा से! बस अब क्या था?? रोज़ गेस्ट को ढूँढना बहुत सारे सवाल तैयार करना फिर साक्षात्कार लेना मेरे दिनचर्या का हिस्सा सा बन गया था! और साथ ही मैं अपने बोलने का, सवाल पूछने का, या कह सकते हैं उस प्रोग्रम का अपना एक अंदाज़ बनाया.........
हेल्लो सिरसा वैसे तो चौहान सर का प्रोग्रम था पर कुछ समय के लिए उसे करने का सुनेहरा मौका मुझे मिला! हर प्रोग्रम की तरह या कहे बाकि प्रोग्रम से भी ज्यादा मुझे यहाँ सीखने को मिला कभी डॉक्टर, कभी वकील, तो कभी बिज़नस मैन बहुत सी सिरसा की जानीमानी हस्तियों से मैं रुबरु हुई!
ये तो थे मेन प्रोग्रम और इसके अलावा साथ-२ छोटे मोटे प्रोग्रम भी चलते रहे! स्पेशल दिनों के प्रोग्रम, कभी पंजाबी प्रोग्राम और कभी कंपनी देने के लिए भी रेडियो पर बोलने का मौका मिला!
ये था मेरा पिछले एक साल का सफ़र!!! अब कुछ छूट गया हुआ तो फिर कभी बता दूँगी!
and for this beautiful journey i ll thank to MR. VIRENDER SINGH CHAUHAN!!
thank you sir!!!
तो चलिए बात चल रही थी वोट्स न्यू की और वोट्स न्यू में मैंने बहुत कुछ सीखा !!! और साथ-२ एक नया प्रोग्राम और शुरू किया वो था कैम्पस बीट!!! इस प्रोग्राम में हर हफ्ते एक अलग कैम्पस की जानकारी व् उस से जुडी हर बात इस छोटे से कार्यक्रम में बताती थी !!! मेरी हमेशा से कोशिश रही के मेरे हर प्रोग्रम में पूरी जानकारी हो ताकि हर श्रोता कुछ सीखे!!!
और फाईनली मैं जुडी हेल्लो सिरसा से! बस अब क्या था?? रोज़ गेस्ट को ढूँढना बहुत सारे सवाल तैयार करना फिर साक्षात्कार लेना मेरे दिनचर्या का हिस्सा सा बन गया था! और साथ ही मैं अपने बोलने का, सवाल पूछने का, या कह सकते हैं उस प्रोग्रम का अपना एक अंदाज़ बनाया.........
हेल्लो सिरसा वैसे तो चौहान सर का प्रोग्रम था पर कुछ समय के लिए उसे करने का सुनेहरा मौका मुझे मिला! हर प्रोग्रम की तरह या कहे बाकि प्रोग्रम से भी ज्यादा मुझे यहाँ सीखने को मिला कभी डॉक्टर, कभी वकील, तो कभी बिज़नस मैन बहुत सी सिरसा की जानीमानी हस्तियों से मैं रुबरु हुई!
ये तो थे मेन प्रोग्रम और इसके अलावा साथ-२ छोटे मोटे प्रोग्रम भी चलते रहे! स्पेशल दिनों के प्रोग्रम, कभी पंजाबी प्रोग्राम और कभी कंपनी देने के लिए भी रेडियो पर बोलने का मौका मिला!
ये था मेरा पिछले एक साल का सफ़र!!! अब कुछ छूट गया हुआ तो फिर कभी बता दूँगी!
and for this beautiful journey i ll thank to MR. VIRENDER SINGH CHAUHAN!!
thank you sir!!!
Wednesday, September 1, 2010
a small journey!!!
आज १ सितम्बर को हमारे कूल स्टेशन डिरेक्टर साहब श्री वीरेंद्र सिंह चौहान जी ने कहा की आप अपने पिछले एक साल के अनुभव को आपने शब्दों में लिखो और उनकी बात से प्रेरित हो कर आज मैं पिछले एक साल के रेडियो के सफ़र को ब्लॉग के ज़रिये आपके समक्ष रखने जा रही हूँ!
पिछले साल इन्ही दिनों की यदि बात करें तो मैं अपने रेडियो प्रोग्राम के लिए एक अच्छा सा विषय तलाशने में लगी थी! और बहुत खोजबीन के बाद मुझे मिला एक आम होते हुए भी एक खास विषय और वह था 'सखी'. सखी प्रोग्राम में मेरे साथ जुडी मेरी फ्रेंड दया! यह प्रोग्राम खासकर महिलाओं के लिए था जिसमें उन्हें उन्ही से जुडी जानकारी दी जाती थी चाहे वह खाना पकाने की रेसिपी हो या खूबसूरती बनाये रखने के टिप्स या फिर वह दया दादी के नुस्खे!!! इस प्रोग्राम के लिए मैं घंटों स्क्रिप्ट लिखने में बिताती थी फिर उस रिकॉर्ड करने में और फिर एडिटिंग में! परन्तु वह अनुभव मेरे लिए अमूल्य है!
उसके बाद बारी आती है कुछ नया करने की! जी हाँ! फिर मैंने कुछ नया करने का सोचा और यह नया भी नया करने से ही था..... समझे?? नहीं समझे??? मैं बताती हूँ! इस प्रोग्राम का विषय था सब कुछ नया चाहे वह देश की बात हो या विदेश की, कोई अविष्कार हो या कोई खोज, कोई नयी फिल्म हो या नयी कार सब रहता था मेरी पोटली में जो मैं श्रोताओं को बताई थी और साथ ही अपनी जानकारी भी बढ़ाती थी और साथ ही एक अलग सा शौक भी मिला मुझे-कुछ अलग जानने का! इस प्रोग्राम का नाम था 'वोट्स न्यू???' और इसमें मेरे साथ थे रंजन चौहान, और उनके साथ काम करना भी एक अलग अनुभव था!
चलिए बाकि सफ़र आपको बाद में बताउंगी क्यूंकि मेरी माता जी गुस्सा कर रही हैं और मुझे फटाफट हमारे कंप्यूटर साहब को बंद करना होगा!!!
मिलते हैं ब्रेक के बाद...........
पिछले साल इन्ही दिनों की यदि बात करें तो मैं अपने रेडियो प्रोग्राम के लिए एक अच्छा सा विषय तलाशने में लगी थी! और बहुत खोजबीन के बाद मुझे मिला एक आम होते हुए भी एक खास विषय और वह था 'सखी'. सखी प्रोग्राम में मेरे साथ जुडी मेरी फ्रेंड दया! यह प्रोग्राम खासकर महिलाओं के लिए था जिसमें उन्हें उन्ही से जुडी जानकारी दी जाती थी चाहे वह खाना पकाने की रेसिपी हो या खूबसूरती बनाये रखने के टिप्स या फिर वह दया दादी के नुस्खे!!! इस प्रोग्राम के लिए मैं घंटों स्क्रिप्ट लिखने में बिताती थी फिर उस रिकॉर्ड करने में और फिर एडिटिंग में! परन्तु वह अनुभव मेरे लिए अमूल्य है!
उसके बाद बारी आती है कुछ नया करने की! जी हाँ! फिर मैंने कुछ नया करने का सोचा और यह नया भी नया करने से ही था..... समझे?? नहीं समझे??? मैं बताती हूँ! इस प्रोग्राम का विषय था सब कुछ नया चाहे वह देश की बात हो या विदेश की, कोई अविष्कार हो या कोई खोज, कोई नयी फिल्म हो या नयी कार सब रहता था मेरी पोटली में जो मैं श्रोताओं को बताई थी और साथ ही अपनी जानकारी भी बढ़ाती थी और साथ ही एक अलग सा शौक भी मिला मुझे-कुछ अलग जानने का! इस प्रोग्राम का नाम था 'वोट्स न्यू???' और इसमें मेरे साथ थे रंजन चौहान, और उनके साथ काम करना भी एक अलग अनुभव था!
चलिए बाकि सफ़र आपको बाद में बताउंगी क्यूंकि मेरी माता जी गुस्सा कर रही हैं और मुझे फटाफट हमारे कंप्यूटर साहब को बंद करना होगा!!!
मिलते हैं ब्रेक के बाद...........
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