आज १ सितम्बर को हमारे कूल स्टेशन डिरेक्टर साहब श्री वीरेंद्र सिंह चौहान जी ने कहा की आप अपने पिछले एक साल के अनुभव को आपने शब्दों में लिखो और उनकी बात से प्रेरित हो कर आज मैं पिछले एक साल के रेडियो के सफ़र को ब्लॉग के ज़रिये आपके समक्ष रखने जा रही हूँ!
पिछले साल इन्ही दिनों की यदि बात करें तो मैं अपने रेडियो प्रोग्राम के लिए एक अच्छा सा विषय तलाशने में लगी थी! और बहुत खोजबीन के बाद मुझे मिला एक आम होते हुए भी एक खास विषय और वह था 'सखी'. सखी प्रोग्राम में मेरे साथ जुडी मेरी फ्रेंड दया! यह प्रोग्राम खासकर महिलाओं के लिए था जिसमें उन्हें उन्ही से जुडी जानकारी दी जाती थी चाहे वह खाना पकाने की रेसिपी हो या खूबसूरती बनाये रखने के टिप्स या फिर वह दया दादी के नुस्खे!!! इस प्रोग्राम के लिए मैं घंटों स्क्रिप्ट लिखने में बिताती थी फिर उस रिकॉर्ड करने में और फिर एडिटिंग में! परन्तु वह अनुभव मेरे लिए अमूल्य है!
उसके बाद बारी आती है कुछ नया करने की! जी हाँ! फिर मैंने कुछ नया करने का सोचा और यह नया भी नया करने से ही था..... समझे?? नहीं समझे??? मैं बताती हूँ! इस प्रोग्राम का विषय था सब कुछ नया चाहे वह देश की बात हो या विदेश की, कोई अविष्कार हो या कोई खोज, कोई नयी फिल्म हो या नयी कार सब रहता था मेरी पोटली में जो मैं श्रोताओं को बताई थी और साथ ही अपनी जानकारी भी बढ़ाती थी और साथ ही एक अलग सा शौक भी मिला मुझे-कुछ अलग जानने का! इस प्रोग्राम का नाम था 'वोट्स न्यू???' और इसमें मेरे साथ थे रंजन चौहान, और उनके साथ काम करना भी एक अलग अनुभव था!
चलिए बाकि सफ़र आपको बाद में बताउंगी क्यूंकि मेरी माता जी गुस्सा कर रही हैं और मुझे फटाफट हमारे कंप्यूटर साहब को बंद करना होगा!!!
मिलते हैं ब्रेक के बाद...........
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